
भागलपुर: मन में अजीब सी कशमकश थी। एक तरफ कोख में पांच माह का बच्चा पल रहा था तो दूसरी तरफ कोरोना के खिलाफ जंग चल रही थी। इस जंग को छोडक़र जाने की मैं सोच भी नहीं सकती थी। मैं चाहती थी कि जब भविष्य में कोरोना योद्धाओं की चर्चा हो, तो उसमें मेरा नाम देख कर मेरा होने वाला बच्चा भी गौरवान्वित हो। आखिरकार कोख में पल रही ममता ने कर्तव्य पथ पर चलने की प्रेरणा दी।”
यह कहते हुए पेशे से नर्स शांति कुमारी भावुक हो जाती हैं। बताती हैं कि परिवार की सुरक्षा व कर्तव्य पथ के बीच की उलझन सुलझाना आसान नहीं था, लेकिन अब कोई कशमकश नहीं। भागलपुर जिला के प्रभाथमिक स्वास्थ्य केंद्र (सबौर) में एएनएम (ऑक्जिलरी नर्सिंग मिडवाइफ) शांति कुमारी अब मरीजों की देखभाल में जुटीं हैं।