
कोरोना वायरस से बचाव के लिए राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन का असर छत्तीसगढ़ में नक्सलियों की रसद पर भी पड़ा है। वे अब रसद आपूर्ति के लिए ग्रामीणों पर दबाव बना रहे हैं तथा लूटपाट का सहारा ले रहे हैं।
बस्तर क्षेत्र के वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के मुताबिक राज्य में लॉकडाउन के दौरान ग्रामीणों को नागरिक आपूर्ति निगम के माध्यम से दो माह का राशन एक साथ दिया गया है। अब नक्सलियों की नजर ग्रामीणों के राशन पर है और वे ग्रामीणों पर राशन देने के लिए दबाव बना रहे हैं।
बस्तर क्षेत्र के पुलिस महानिरीक्षक सुंदरराज पी ने बताया कि लॉकडाउन से आवाजाही पर प्रतिबंध लग गया है, ऐसे में नक्सलियों तक पहुंचने वाले रसद और अन्य सामानों की आपूर्ति पर भी असर पड़ा है। सुंदरराज के अनुसार इसलिए अब उन्हें रोजमर्रा की चीजों को प्राप्त करने के लिए भी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है, यही कारण है कि वह अब ग्रामीणों पर इन सामानों के लिए दबाव बना रहे हैं।
उन्होंने बताया कि माओवादियों का स्थानीय कैडर पहले भी ग्रामीणों से राशन लेता रहा है तथा वह अपने लोगों के लिए ग्रामीणों से भोजन बनाने की व्यवस्था भी कराता रहा है। लेकिन यह केवल 10 से 15 लोगों के लिए होता था। साथ ही, नक्सली अपने बड़े दल के लिए भोजन और अन्य सामानों की व्यवस्था रसद लाने वाले लोगों के माध्यम से ही करते हैं।
उन्होंने कहा कि जब से लॉकडाउन किया गया है बस्तर क्षेत्र के दूरदराज के इलाकों में लगने वाले हाट बाजार भी बंद हो गए हैं। माओवादियों के लिए राशन पहुंचाने वाले लोग इन्हीं बाजारों से उनके लिए राशन की व्यवस्था करते थे। वहीं कुछ अन्य सामानों के लिए वे पास के शहर भी जाते थे। लेकिन लॉकडाउन के कारण उनका आसानी से शहर तक पहुंचा मुश्किल हो गया है।
सुंदरराज कहते हैं कि अब माओवादियों के लिए सामान की व्यवस्था करने वाले लोग पकड़े जाने के डर से शहरों की तरफ नहीं जा पा रहे हैं। इसलिए वह राशन और अन्य सामानों की व्यवस्था के लिए ग्रामीणों और आदिवासियों पर दबाव बना रहे हैं। जिनकी नक्सलियों को मना करने की हिम्मत नहीं होती है।
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