
राजस्थान के कोटा में पढ़ रही अपनी बेटी को लाने गए भारतीय जनता पार्टी के विधायक व बिहार विधानसभा में पार्टी के सचेतक अनिल सिंह, किंतु कार्रवाई धड़ाधड़ मुलाजिमों पर हो रही है। पास बनाने वाले नवादा सदर के अनुमंडल पदाधिकारी सबसे पहले निलंबित कर दिए गए। गाड़ी का ड्राइवर भी कार्रवाई से बच नहीं पाया और यहां तक कि विधायक की सुरक्षा में तैनात दो गार्डों पर भी गुरुवार को गाज गिर गई।
अबतक चार मुलाजिमों पर सरकार का हंटर चल चुका है। किंतु जिन्होंने पास बनवाया और जिसके आदेश पर गार्ड से लेकर ड्राइवर तक को कोटा जाना पड़ा वे कार्रवाई की जद से बाहर हैं। जिसके आदेश पर एसडीएम ने पास बनाया, उनपर भी कार्रवाई नहीं हुई है।
लॉकडाउन में कोटा से बेटी को ले आए विधायक
मामले की शुरुआत 15 अप्रैल से हुई। उसी दिन विधायक ने कोटा में पढ़ रही बेटी को लाने के लिए नवादा सदर एसडीएम से गाड़ी का पास बनवाया और रवाना हो गए। चार दिन बाद लौटे तो बवाल बढ़ चुका था। बात सरकार के संज्ञान में आई तो जांच शुरू हो गई।
सबसे पहले एसडीएम पर गिरी कार्रवाई की गाज
लॉकडाउन की अवधि में तीन मई तक आवाजाही प्रतिबंधित है। लिहाजा इसे अपराध माना गया। कार्रवाई के दायरे में सबसे पहले पास बनाने वाले एसडीएम अनु कुमार आ गए। नवादा के जिलाधिकारी यशपाल मीणा ने निर्गत पास को प्रावधान के विरुद्ध माना। हालांकि, बताया जा रहा है कि पास डीएम की सहमति से एसडीएम ने बनाया था। प्रावधान के मुताबिक महामारी के दौरान दूसरे राज्यों के लिए पास सिर्फ विशेष परिस्थिति में ही दिया जा सकता है। डीएम ने पाया कि एसडीएम ने हालात की समीक्षा किए बिना ही पास निर्गत कर दिया। उन्होंने कार्रवाई की अनुशंसा की और गाज गिर गई। परिणाम यह भी हुआ कि प्रदेश भर के एसडीएम से पास निर्गत करने का अधिकार छीनकर अब डीएम को दे दिया गया।
ड्राइवर पर कार्रवाई, नहीं ली थी बाहर जाने की अनुमति
कार्रवाई का दायरा आगे बढ़ा। जद में आए गाड़ी के ड्राइवर शिवमंगल चौधरी। बीजेपी विधायक विधानसभा में सत्तारूढ़ दल के सचेतक भी हैं। इसी हैसियत से उन्हें विधानसभा कोटे से गाड़ी और ड्राइवर दोनों आवंटित हैं। सभा सचिव बटेश्वर पांडेय के मुताबिक राज्य की सीमा पार करने के पहले ड्राइवर को सभा सचिवालय से अनुमति लेनी चाहिए थी। किंतु ड्राइवर ने ऐसा नहीं किया।