
रामगढ़: लॉकडाउन के बाद से ही कोयलांचल अरगड्डा-सिरका में गरीबों के हालात में तेजी से बुरा प्रभाव पड़ने लगा है। अरगड्डा क्षेत्र में बीते 20 वर्षों से प्लास्टिक, कूड़ा चुनकर गुजारा करने वाले गरीब दंपति कॉलोनियों के घरों के द्वारा फेंके जाने वाले जूठे भोजन और मुर्गियों की फेंके गए चमड़ों को खाकर किसी तरह अपनी जान बचाए हुए है। इन लोगों को अभी तक किसी भी तरह की सरकारी और गैर सरकारी मदद नहीं मिल पाई है। इनके पास राशन कार्ड भी नहीं है। जिसके कारण इनके हालात दिन प्रतिदिन बदतर होते जा रहे हैं।
शनिवार को अरगड्डा इंदिरा चौक के समीप मौजूद पानी टंकी के पास दोपहर में इन दंपत्ति परिवारों को खाना बनाते देखा गया। इस दौरान पूछे जाने पर रामा डोम और उनकी पत्नी मनिका देवी ने बताया कि हम लोग सियाल पोड़ागेट के रहने वाले हैं और रोज अरगड्डा सिरका के कॉलोनियों के आस-पास घूम घूम कर प्लास्टिक व कूड़ा चुनकर रामगढ़ ले जाकर कबाड़ी को देते हैं। जिसके बाद यहां से हमें 100 से 200 रुपए मिल जाता है। इससे हम दोनों का गुजारा चल जाता था। लेकिन 22 मार्च को कूड़ा चुनने के लिए निकले थे, अरगड्डा में ही रात में ठहर गए। दूसरे दिन लॉकडाउन लग जाने से हम दोनों दंपत्ति यही रह गए।
उन्होंने कहा कि हम दोनों का एक लड़का राजू जो रांची में रहता है। लड़की मीना का विवाह धनबाद में हो गया है। अभी तक हम लोगों को किसी भी लोगों के द्वारा मदद नहीं मिली है। जो भी पैसे बचे थे वह भी खत्म हो गए हैं। अब इधर-उधर कॉलोनियों में घूम कर यहां फेंके जाने वाले खाना और मुर्गों के चमड़ों को चुनकर बनाकर किसी तरह खा रहे हैं।