
पटना। अन्य राज्यों में फंसे बिहार के श्रमिक और छात्रों को वापस लाने में बिहार सरकार ने अपनी असमर्थता जाहिर की है। राज्य के डिप्टी सीएम सुशील मोदी ने ट्वीट कर केंद्र सरकार से स्पेशल ट्रेन चलाने की मांग की है। बुधवार को केंद्रीय गृह मंत्रालय ने अन्य राज्यों में फंसे प्रवासियों की घर वापसी के लिए एक गाइडलाइंस जारी की थी। इसके बाद बिहार के लोगों में उम्मीद जगी थी कि वे अपने राज्य वापस जा सकेंगे। हालांकि सरकार के इस फैसले के बाद सुशील मोदी ने कहा था कि हमारे पास संसाधन की कमी है। हम छात्रों और मजदूरों को वापस लाने में असर्मथ हैं।
गुरुवार को डिप्टी सीएम मोदी ने एक ट्वीट किया। इसमें उन्होंने लिखा, ‘मैं भारत सरकार से अपील करता हूं कि वे स्पेशल ट्रेन चलाए ताकि प्रवासियों को वापस लाया जा सके।’ इससे पहले उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने रेल चलाने की इजाजत नहीं दी है। ऐसे में अन्य राज्यों में फंसे बिहार के छात्रों और श्रमिकों को बस से आना होगा। उन्होंने कहा कि बिहार सरकार के पास इतनी बसें ही नहीं हैं कि हम विभिन्न राज्यों से लोगों को वापस लाएं। हालांकि उन्होंने यह जरूर कहा कि हम अन्य राज्य सरकारों से इस मामले पर बातचीत करेंगे और आपसी सहमति के मुताबिक फैसला लिया जाएगा।
बुधवार को केंद्रीय गृह मंत्रालय ने प्रवासियों के लिए गाइडलाइंस जारी की तो सुशील मोदी ने इस फैसले के लिए अमित शाह और पीएम मोदी को धन्यवाद दिया था। हालांकि अब वे बिहार के प्रवासियों को लाने के लिए स्पेशल ट्रेन चलाने की मांग कर रहे हैं। बुधवार को सुशील मोदी ने कहा था कि प्रधानमंत्री के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हुई मुख्यमंत्रियों की बैठक में इस मुद्दे को बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने उठाया था। अब केंद्र सरकार ने इसके लिए दिशा निर्देश जारी कर दिया है। गृह मंत्रालय के इस फैसले से बिहार के छात्रों और मजदूरों को वापस लाने में मदद मिलेगी।
क्या है गृह मंत्रालय की गाइडलाइंस
केंद्र सरकार ने लॉकडाउन के कारण दूसरे राज्यों में फंसे मजदूरों, छात्रों, तीर्थयात्रियों और अन्य लोगों को अपने गृह राज्यों में जाने की अनुमति दे दी। इन लोगों को बसों के जरिये एक से दूसरे राज्य भेजा जाएगा। केंद्र सरकार के इस फैसले से करीब 10 लाख से ज्यादा लोगों को राहत मिलेगी। गृह मंत्रालय ने बुधवार को इस संबंध में राज्यों से नोडल अथॉरिटी नियुक्त करने और लोगों को भेजने और लाने के लिए प्रोटोकॉल तय करने को कहा है। राज्यों की आपसी सहमति से ही लोगों की आवाजाही सुनिश्चित होगी। नोडल अथॉरिटी अपने राज्यों के फंसे हुए लोगों का पंजीकरण भी करेंगे।
ऐसे जा पाएंगे वापस
नोडल अथॉरिटी की जिम्मेदारी- राज्य द्वारा गठति नोडल अथॉरिटी फंसे हुए लोगों का रजिस्ट्रेशन करेगी और पूरी प्रक्रिया की निगरानी करेगी।
चर्चा कर अनुमति दें- अगर कहीं पर कोई समूह फंसा हुआ है और वह घर जाना चाहता है तो राज्य आपसी सहमति के साथ उन्हें छूट दे सकतीं हैं।
सबकी जांच होगी- सभी लोगों की जांच होगी, जिनमे लक्षण नहीं होंगे उन्हें ही आवाजाही की इजाजत दी जाएगी।
बसों से जाएंगे- बसों को पूरी तरह सेनेटाइज किया जाएगा। बैठने में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन होगा।
घर में 14 दिन रहना होगा- घर पहुंचते ही लोगों की जांच होगी। इसके बाद 14 दिनों तक होम क्वारेंटाइन में रहना होगा।