
एक ओर प्रधानमंत्री कंपनियों से वेतन नहीं काटने की अपील कर रहे हैं, दूसरी ओर सूरत से लौटे दर्जनों लोग सिर्फ इसलिए वापस आ गए क्योंकि उन्हें वेतन मिलना बंद हो गया। ऐसा ही एक परिवार लॉकडाउन में मिले कड़वे अनुभव को लेकर वापस अपने शहर के लिए ट्रेन से वापस आया।
कोडरमा के रहनेवाले भागीरथ यादव ने बताया कि वह पिछले 15 सालों से एक कंपनी में मार्केटिंग का जॉब करते थे। लॉकडाउन में कंपनी का काम बंद हुआ तो दो माह का वेतन नहीं दिया गया। जमा पूंजी से कितने दिनों तक बैठकर खा सकते हैं। बस इसी मजबूरी से हम अपने पूरे परिवार के साथ वापस आ गए। भागीरथ यादव ने कहा कि मेरे जैसे हजारों लोग सिर्फ इसलिए वापस आ रहे हैं कि वहां उन्हें वेतन नहीं दिया जा रही है। अगर वेतन मिलता तो हमलोग वापस क्यों आते। कोरोना तो देश के हर राज्य में फैला हुआ है। कोरोना से डरकर नहीं बल्कि नौकरी जाने की डर से हम वापस आए। भागीरथ ने कहा कि अगर झारखंड में दस हजार की भी नौकरी मिल जाए तो हम दोबारा सूरत नहीं जाएंगे।