
रांची. सूचना का अधिकार यानी आरटीआई (RTI) को प्रभावी बनाने के लिए गठित राज्य सूचना आयोग (Jharkhand State Information Commission) इन दिनों सरकारी उपेक्षा के कारण दम तोड़ रहा है. हालत यह है कि पिछले कई महीनों से आयोग प्रभारी मुख्य सूचना आयुक्त हिमांशु शेखर चौधरी के भरोसा चल रहा था. शुक्रवार को उनका भी कार्यकाल समाप्त हो गया. ऐसे में अब न केवल आयोग में सुनवाई ठप हो गयी है, बल्कि कर्मियों के वेतन पर भी संकट गहराने वाला है.राज्य सूचना आयोग के पास न तो मुख्य सूचना आयुक्त है और न ही सूचना आयुक्त. पिछले कई महीनों से आयोग का कामकाज अकेले प्रभारी मुख्य सूचना आयुक्त हिमांशु शेखर चौधरी संभाल रहे थे. 28 अप्रैल 2015 से शुरू हुए कार्यकाल में हिमांशु शेखर चौधरी ने 29832 वादों की सुनवाई की, जिसमें 4414 को निष्पादित करते हुए 198 केसों में जनसूचना पदाधिकारियों को दंडित भी किया.
अपने कार्यकाल के खट्टे-मीठे अनुभव को साझा करते हुए हिमांशु शेखर चौधरी ने आरटीआई को मजबूत नहीं होने देने के लिए सरकारी बाबूओं को दोषी माना. उन्होंने कहा कि आयोग की इस बदहाली के पीछे भी ब्यूरोक्रेट्स का हाथ है. उन्होंने उदाहरण के तौर पर अपनी नियुक्ति के समय भी ब्यूरोक्रेट्स द्वारा पैदा की गई अड़चनों का जिक्र किया. उन्होंने दुख जताते हुए कहा कि आयोग में अब कोई सूचना आयुक्त नहीं हैं, जिसके कारण आयोगकर्मी को कोरोना संक्रमण काल में वेतन के लिए परेशानी होगी.
राज्यपाल को भेजे रिपोर्टकार्ड मेंं प्रभारी मुख्य सूचना आयुक्त ने आयोग की बदहाल स्थिति और अपने कार्यकाल में हुए कामकाज से अवगत कराया. आंकड़ों पर नजर दौड़ाएं तो आयोग में सुनवाई हेतू 7640 अपीलवाद लंबित हैं, जबकि 70 शिकायतवाद लंबित हैं. हर महिने 450-500 अपील आयोग तक पहुंचता है.