
रांची. कोरोना संकट ने झारखंड की आर्थिक स्थिति को बुरी तरह प्रभावित किया है. राजस्व संग्रह (Revenue Collection) में आई भारी कमी को देखते हुए अब राज्य सरकार लॉकडाउन में अन्य राज्यों की तरह शराब एवं अन्य व्यवसायिक प्रतिष्ठानों को खोलने पर विचार कर रही है. जिससे आर्थिक संकट से उबरा जा सके.राज्य सरकार का खजाना भी खाली है. पहले से ही आर्थिक परेशानी से जूझ रही राज्य सरकार के राजस्व संग्रह में भी भारी कमी आई है. हर महीने अन्य खर्च को छोड़कर राज्य सरकार करीब दो हजार करोड़ रुपये खर्च करती है, जिसमें वेतन मद में 1200 करोड़, पेंशन मद में 500 करोड़ और 300 करोड़ ब्याज भुगतान पर खर्च शामिल हैं. इन खर्चों को पूरा करने के लिए भी सरकार के पास आमदनी नहीं हो रही है. हालत यह है कि अप्रैल महीने में मात्र 39 फीसदी रेवेन्यू कलेक्शन हुआ है. वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव ने राज्य की आर्थिक स्थिति पर चिंता जताते हुए लॉकडाउन में छूट देने की वकालत की है.आइये पहले जानते हैं कि पिछले वर्ष के अप्रैल महीने की तूलना में इस वर्ष अप्रैल माह में राजस्व वसूली की स्थिति क्या रही है. वाणिज्यिक कर की वसूली पिछले अप्रैल में 1258.19 करोड़ रही थी, जबकि इस वर्ष अप्रैल में मात्र 407.19 करोड़ हुई. लैंड रेवेन्यू से प्राप्ति पिछले साल अप्रैल में 4.29 करोड़ रही थी, लेकिन इस बार अप्रैल में 8.86 करोड़ रही है. उत्पाद शुल्क से 224.79 करोड़ मिले थे जबकि इस साल अप्रैल में मात्र 104.39 करोड़ मिले हैं. पंजीकरण से पिछले साल अप्रैल में 22.31 करोड़ की आमदनी हुई थी, वहीं इस बार अप्रैल में मात्र 0.05 करोड़ हुई हैं. परिवहन से 73.29 करोड़ की प्राप्ति के मुकाबले इस बार अप्रैल मात्र 19.39 करोड़ रुपये की कमाई हुई है. माइंस सेक्टर की बात करें तो 2019 अप्रैल में 408.43 करोड़ रुपये की आय सरकार को प्राप्त हुई थी, जबकि इस वर्ष अप्रैल महीने में मात्र 243.28 करोड़ मिले हैं. इस तरह से अप्रैल 2019 में राज्य सरकार को 1991.30 करोड़ रुपये राजस्व के रूप में प्राप्त हुए थे, जबकि इस वर्ष अप्रैल महीने में आधे से भी कम 786.16 करोड़ मात्र मिले हैं. आंकड़ों से साफ है कि कोरोना ने आर्थिक स्थिति को बुरी तरह चोट की है.