
दूसरे राज्यों खासकर महाराष्ट्र, गुजरात और दिल्ली में फंसे झारखंड के प्रवासियों का धैय अब जवाब देने लगा है। वे किसी भी कीमत पर जल्द से जल्द घर लौटना चाहते हैं। राज्य सरकार द्वारा प्रवासियों के बनाई गई हेल्पलाइनों पर उनके फोन कॉल की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है और वे सरकारी सहायता न मिलने पर पैदल ही अपने गांव कूच करने या फिर वहीं आत्महत्या कर लेने जैसी धमकी भी देने लगे हैं। कॉल सेंटरों में आए फोन कॉल की एक गहन समीक्षा रिपोर्ट बनाकर मुख्यमंत्री सचिवालय को सौंपी गई है। राज्य वापसी के लिए अब तक देश के विभिन्न राज्यों से छह लाख से अधिक मजदूरों ने पंजीकरण कराया है। कॉल सेंटर में आए फोन पर ज्यादातर मजदूर अब विशेष ट्रेन के चलने की जानकारी मांग रहे हैं। हालांकि कॉल सेंटर में इसकी जानकारी उपलब्ध नहीं होने के कारण वे कुछ बता नहीं पा रहे। रिपोर्ट के अनुसार, कुछ मजदूरों ने राशन नहीं मिलने की शिकायत की। भूखों मरने की स्थिति बताई। कई लोग तो आत्महत्या करने की बातें करते हैं। सबसे अधिक तनाव में महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक औऱ दिल्ली में फंसे प्रवासी मजदूर हैं। महाराष्ट्र और गुजरात के कुछ मजदूरों ने वापसी के लिए पंजीकरण, ट्रेन टिकट और जांच के लए 5000 रुपए तक पुलिस से वसूलने की शिकायत की है।कुछ प्रवासी मजदूरों ने स्थानीय प्रशासन से सहयोग नहीं मिलने की शिकायत की है। दिल्ली के कुछ मजदूरों ने स्थानीय प्रशासन द्वारा खराब खाना परोसे जाने की शिकायत की। वहीं कुछ मजदूरों ने वापसी के लिए स्थानीय प्रशासन के पास पंजीकरण कराने के बाद भी ट्रेन कब चलेगी, उन्हें क्या करना होगा, इस बारे में कोई सूचना नहीं मिलने की शिकायत की है। कुछ मजदूरों ने बताया कि उनके पास स्मार्ट फोन नहीं है, तो कुछ ने बताया कि वह इंटरनेट का प्रयोग नहीं जानते, जिस वजह से वापसी के लिए पंजीकरण नहीं करा पा रहे हैं। हालांकि रिपोर्ट में यह भी बताया है कि बंगलुरू समेत कुछ जगहों पर स्वयंसेवी संगठनों द्वारा पंजीकरण में मजदूरों को मदद किए जाने की जानकारी भी मिली है। कुछ प्रवासी मजदूरों ने अब तक डीबीटी की राशि नहीं मिलने के बारे में शिकायत की है।