
देवघर. सालोंभर श्रद्धालुओं से गुलजार रहने वाले झारखंड के देवघर (Deoghar) यानीबाबा बैद्यनाथ धाम (Baidyanath Dham) में इन दिनों सन्नाटा पसरा हुआ है. श्रद्धालुओं के लिए यहां के पेड़े (Peda) का प्रसाद खास महत्व रखता है. लेकिन लगभग 50 दिन के कोरोना लॉकडाउन में यहां का पेड़ा उद्योग बर्बादी के कगार पर पहुंच गया है. पेड़ा व्यवसायियों का इस दौरान 50 से 60 लाख रुपए का कच्चा माल सड़कर बर्बाद तो हो ही गया, हजारों की संख्या में इससे जुड़े लोग बेरोजगार होकर भुखमरी के भी कगार पर पहुंच गए हैं.पेड़ा व्यवसायी रोहित कुमार मंडल ने बताया कि लॉकडाउन के कारण दुकानों का शटर डाउन है. नतीजा ये हुआ कि लगभग 45 से 50 लाख का इनका तैयार पेड़ा और कच्चा माल सड़कर बर्बाद हो गया. दुकान बंद और काम नहीं मिलने से रोज कमाने-खाने वाले पेड़ा कारीगरों के सामने भी विकट स्थिति उत्पन्न हो गई है. पेड़ा कारीगर प्रमोद यादव का कहना है कि पेड़ा व्यवसाय बंद होने से उसके सामने भुखमरी की स्थिति उत्पन्न हो गई है. उन जैसे कारीगरों को फिलहाल कोई काम नहीं मिल रहा. ऐसे में उनके लिए घर चलाना मुश्किल हो रहा है.देवघर शहर और इससे सटे घोरमारा में लगभग 3 हजार पेड़े की दुकानें हैं. सालाना इन दुकानों में करोड़ों के पेड़े का कारोबार होता है. पेड़ा उद्योग से हजारों लोगों की आजीविका चलती है. लेकिन लॉकडाउन ने ऐेसे कारोबारियों को भी बेरोजगार बना दिया है.पेड़ा व्यवसायी संघ के जिलाध्यक्ष हनुमान केशरी कहते हैं कि सरकार को देवघर के पेड़ा व्यवसायियों पर ध्यान देना चाहिए. लॉकडाउन में जो नुकसान हुआ है, उसको देखते हुए मदद करनी चाहिए. उन्होंने कहा कि देवघर में सलाना 10 करोड़ से ज्यादा की कमाई पेड़ा व्यवसाय से होती है. लेकिन कोरोना ने सब कुछ चौपट कर दिया. स्थानीय व्यवसायी सुरेश साह ने सरकार से प्रति दुकानदार 10-10 हजार रुपए राहत देने की मांग की है.