
रांची. झारखंड में अब एक रुपये में महिलाओं (Women) के नाम पर 50 लाख तक की अचल संपत्ति (Property) की रजिस्ट्री नहीं होगी. सरकार ने इसे वापस ले लिया है. कोरोना के कारण पैदा हुए आर्थिक संकट के कारण सरकार (Hemant Government) ने यह फैसला लिया है. सरकार ने निबंधन कार्यालयों में एक दिन में अधिकतम 40 रजिस्ट्रेशन की सीमा निर्धारित की है. इससे जुड़ी अधिसूचना जारी कर दी गई है.अधिसूचना में कहा गया है कि 19 जून 2017 को भू-राजस्व विभाग ने दो आदेश जारी किये थे. इन आदेश के मुताबिक 50 लाख की संपत्ति महिलाओं के नाम पर लेने से मात्र एक रुपया शुल्क देना पड़ता था. राज्य सरकार 15 मई 2020 को जारी आदेश से इसे वापस ले रही है. अब महिलाओं के नाम पर भी संपत्ति लेने पर रजिस्ट्रेशन के लिए पूरा भुगतान करना पड़ेगा.बता दें कि पिछली रघुवर सराकर के बड़े फैसलों में से यह एक था. इसे वापस लिये जाने पर पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कहा कि महिला सशक्तिकरण विरोधी हेमंत सरकार ने एक रुपये में रजिस्ट्री योजना बंद करने का जो निर्णय लिया है, यह निंदनीय है. महिलाओं को आर्थिक और सामाजिक रूप से सशक्त करने के लिए 50 लाख रुपये तक की संपत्ति के निबंधन पर एक रुपये का शुल्क निर्धारित किया गया था. वर्तमान सरकार ने इसे बंद कर अपना महिला सशक्तिकरण विरोधी चरित्र उजागर किया है. यह सरकार जनविरोधी नीतियों के लिए जानी जायेगी.पूर्व सीएम ने कहा कि इससे पूर्व राजस्व उगाही के नाम पर भाजपा सरकार द्वारा पेट्रोल-डीजल पर दी गयी रियायत वापस लेकर राज्य सरकार ने लोगों पर पहले ही बोझ बढ़ाया. अब राजस्व वसूली के नाम पर यह योजना बंद कर रही है. राजस्व वसूली के और भी कई उपाय हो सकते हैं. किसान विरोधी इस सरकार ने कृषि आशीर्वाद योजना भी बंद कर दी है. आखिर किसान, महिला समेत आम लोगों के साथ ऐसा सलूक क्यों?