
सिख दंगा पीड़ित के मुआवजा राशि को जालसाजी से हासिल करने की जांच सीआईडी को सौंप दी गई है। सीआईडी (अपराध अनुसंधान विभाग) के डीएसपी अभिषेक सिंह ने बुधवार शाम चास पुलिस से केस का चार्ज लिया।केस के अनुसंधानकर्ता जमादार रामेश्वर वर्मा ने सीआईडी डीएसपी को चास थाना कांड संख्या 171/2007 अंतर्गत दर्ज केस से संबंधित फाइल सौंपी।विदित हो कि तत्कालीन चास कार्यपालक दंडाधिकारी युगल किशोर चौबे की शिकायत पर 16 अक्टूबर 2007 को चास पुलिस ने सर्वजीत सिंह व सरजू सिंह को जालसाजी कर सिख दंगा पीड़ित की मुआवजा राशि हासिल करने का आरोपी बनाते हुए प्राथमिकी दर्ज की थी। परंतु 13 साल के लंबे अंतराल में कोई ठोस नतीजा सामने नहीं आया है।
71.30 लाख मुआवजा : एफआईआर के अनुसार एलोरा में रहने वाले दोनों आरोपियों ने सरकारी कर्मचारियों व अधिकारियों की मिलीभगत से जालसाजी कर दंगा पीड़ितों के लिए जिले में आई मुआवजा राशि में से 71 लाख 30 हजार रुपये हासिल कर ली थी। सर्वजीत सिंह कलसी ने 16 लाख 30 हजार तो सरजू ने 55 लाख हड़प लिए थे।
मिलना था 2.29 लाख : चास थाने में दर्ज केस का आधार बालीडीह थाना कांड संख्या 112/84 है। जिसमें सरदूल सिंह कलसी ने दंगा के दौरान दो लाख 29 हजार रुपए की संपत्ति लूट का केस दर्ज कराया था। ज्ञात हो कि 1984 सिख दंगा में दर्ज केसों के आधार पर पीड़ितों को राहत के तौर पर मुआवजा दिया जाना था। सरदूल सिंह की मौत के बाद दोनों बेटों सर्वजीत व सरजू ने जालसाजी कर 71 लाख 30 हजार हासिल किए थे, जबकि उन्हे दो लाख 29 हजार मिलने थे।