
रांची. झारखंड के मुख्य सचिव (Chief Secretary) ने सभी राज्यों के मुख्य सचिवों को पत्र लिखा है. पत्र में ये कहा गया है कि अगर झारखंड के कोई श्रमिक (Laborer) उनके राज्य में पैदल चलता दिखे, तो उन्हें रोककर झारखंड सरकार को सूचना दें. उन श्रमिकों की प्रदेश वापसी में मदद करें. इसका सारा खर्च झारखंड सरकार वहन करेगी. शुक्रवार को प्रोजेक्ट भवन सभागार में कोरोना को लेकर अलग-अलग विभागों के चार सचिवों ने कोरोना और प्रवासी श्रमिकों को लेकर जानकारियां दीं.परिवहन सचिव के रविकुमार ने कहा कि राज्य में 102 ट्रेनों से अबतक 01 लाख 38 हजार 564 श्रमिक दूसरे प्रदेशों से झारखंड लाये जा चुके हैं. आगे 14 ट्रेनों से 19,500 के करीब श्रमिक आने वाले हैं. परिवहन सचिव ने कहा कि राज्य में 200 ट्रेनों से 28-29 मई तक सभी इच्छुक प्रवासियों को झारखंड लाने का काम पूरा हो जाएगा. वहीं अभी तक सभी माध्यमों को मिला दें, तो करीब 3 लाख 15 हजार श्रमिक झारखंड आ चुके हैं. दुर्गम स्थान पर रह रहे झारखंडियों की वापसी के लिए एयर लिफ्टिंग का परमिशन केंद्र से मांगा गया है.आपदा प्रबंधन सचिव अमिताभ कौशल ने कहा कि राज्य में कोरोना से निपटने के लिए आपदा विभाग ने 74 करोड़ 53 लाख की राशि निर्गत की है. वहीं होम क्वारंटाइन में रह रहे लोगों के लिए सोशल पुलिसिंग का जिम्मा सौंपा गया है. झारखंड में एक भी जिला रेड जोन में नहीं होने की जानकारी देते हुए स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव नितिन मदन कुलकर्णी ने कहा कि प्रवासियों के आने से राज्य में कोरोना पॉजिटिव की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है. अब मात्र 11.6 दिन में प्रदेश में कोरोना पॉजिटिव की संख्या दोगुनी हो रही है. पर अच्छी बात यह है कि राज्य में कोरोना पीड़ितों के ठीक होने का दर राष्ट्रीय दर से बेहतर है. स्वास्थ्य सचिव ने कहा कि अभीतक राज्य में कुल 308 पॉजिटिव केस मिले हैं, जिसमें से 169 ही एक्टिव केस हैं, 136 लोग कोरोना से ठीक हो चुके हैं, जबकि तीन की मौत हो चुकी है. बता दें कि प्रदेश में केवल रांची ही रेड जोन में थी. लेकिन अब वह भी इससे बाहर हो गई है.