
कॉमर्शियल (वाणिज्यिक) कोयला खनन से देश में कोयले के आयात को आधा किया जा सकता है। यह रेटिंग एजेंसी क्रिसिल की रिपोर्ट में दावा किया गया है। रिपोर्ट के अनुसार नन-कोकिंग कोयला आयात करने पर होनेवाले वार्षिक व्यय को आधा किया जा सकता है। वित्तीय वर्ष 2019-20 में भारत ने नन-कोकिंग का अनुमानित 180 से 190 मिलियन टन कोयले का आयात किया। जिसकी लागत 90,000 करोड़ रुपए से अधिक है। यानी वाणिज्यिक खनन से 45 हजार करोड़ का कोयला आयात नहीं करना पड़ेगा।20 मई-2020 को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने निजी क्षेत्र की भागीदारी के लिए पात्रता शर्तों को समाप्त कर कोयला खनन के उदारीकरण को मंजूरी दी। इससे पहले केवल कैप्टिव उपभोक्ता ही कोयला खनन कर सकते थे। अब निजी कंपनियां खनन के साथ कोयले की बिक्री कर सकेंगी। क्रिसिल की रिपोर्ट के अनुसार भारत के पास 300 बिलियन टन का बड़ा कोयला भंडार है। फिर भी यह अपनी वार्षिक आवश्यकता का पांचवां हिस्सा यानी हर साल 20 % से अधिक कोयले का आयात करता है। वर्तमान में सरकारी स्वामित्व वाली दो कंपनियां कोल इंडिया व सिंगरेनी कोलियरीज कंपनी लिमिटेड 90% से अधिक कोयले का उत्पादन करती हैं। घरेलू आपूर्ति पिछले पांच फैसलों की तुलना में 3% की वार्षिक वृद्धि दर पर बढ़ी है। क्रिसिल के अनुसार कोयला खनन को उदार बनाने के निर्णय से कोयले की उपलब्धता में सुधार और घरेलू मांग को पूरा करने में मदद मिलेगी। भारत के लगभग आधे आरक्षित भंडार अबतक खनन के लिए आवंटित नहीं किया गया है। सरकार मध्यम अवधि में लगभग 50 खानों की तुरंत और अधिक नीलामी करने की योजना बना रही है। पिछले वित्त वर्ष में सरकार ने कोयला खनन में 100% प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की अनुमति दी थी, जिससे वैश्विक खनिकों को मैदान में आने में मदद मिलेगी। निजी खनिकों द्वारा किए गए निवेश से क्षेत्र में सरकारी स्वामित्व वाली कंपनियों के समक्ष कड़ी प्रतिस्पर्धा की स्थिति पैदा होगी। इससे उच्च उत्पादकता परिणाम की उम्मीद है। बिजली, सीमेंट और स्टील जैसे क्षेत्र कॉमर्शियल माइनिंग से लाभांवित होंगे। हालांकि वैसे पावर प्लांट जो आयातित कोयले के अनुरूप ही बने हैं, उनके लिए कोयला आयात करना ही पड़ेगा।
नन-कोकिंग कोल का आयात एवं घरेलू आपूर्ति (मिलियन टन में)
वित्तीय वर्ष आयातित कोयला घरेलू आपूर्ति
2015 174 (24%) 555
2016 159 (22%) 578
2017 149 (20%) 601
2018 161 (20%) 635
2019 183. (21 %) 689
2020 190. (22%) 660