
केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों का आंदोलन बुधवार को सातवें दिन भी जारी रहा। प्रदर्शनकारी किसान अपनी मांग पर डटे हुए हैं।
कृषि कानून के विरोध में जारी आंदोलन में भाग लेने के लिए भारतीय किसान यूनियन (भानु) के राष्ट्रीय अध्यक्ष ठाकुर भानु प्रताप सिंह के नेतृत्व में मंगलवार शाम को सैकड़ों की संख्या में किसान चिल्ला बॉर्डर पर पहुंचे जहां दिल्ली पुलिस ने अवरोधक लगाकर उन्हें रोक दिया।
जिसके बाद किसान मुख्य मार्ग पर ही धरने पर बैठ गए हैं। किसानों द्वारा जिला बॉर्डर पर जाम लगाए जाने से लाखों लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। जहां किसानों ने जाम लगाया है, वहां से होकर प्रतिदिन लाखों की संख्या में लोग नोएडा में नौकरी करने आते-जाते हैं।
चिल्ला बॉर्डर सीधे नोएडा-ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेस-वे और आगरा एक्सप्रेस-वे को भी जोड़ता है। शाम तक दिल्ली व नोएडा में करीब पांच किलोमीटर का लंबा जाम लग गया।
वहीं, जाम से बचने के लिए पुलिस ने यात्रियों को नोएडा जाने के लिए वैकल्पिक मार्ग का सहारा लेने की सलाह दी है।
उधर, टिकरी बॉर्डर, झारुडा बॉर्डर, झटीकरा बॉर्डर को अन्य यातायात आवाजाही के लिए बंद कर दिया गया है। बडूसराय बार्डर केवल दो पहिया वाहनों के आवागमन के लिए खुला है।
कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली-हरियाणा बॉर्डर पर किसानों का आंदोलन बुधवार को 8वें दिन भी जारी रहा। किसानों के साथ गुरुवार को हुई सरकार की बैठक एक बार फिर बेनतीजा रही है।
इस तरह किसान आंदोलन अपने नौवें दिन में प्रवेश कर गया है। किसान संगठनों के नेता बैठक में तीन नए कृषि कानूनों को वापस लिए जाने की मांगों पर अड़े रहे।
जानकारी है कि सरकार ने किसानों को कानूनों में संशोधन का प्रस्ताव भी दिया था, जिससे किसानों ने इनकार कर दिया।
आठ घंटों तक चली इस मीटिंग में किसानों ने सरकार की ओर से खाने, चाय और पानी के इंतजाम को भी ठुकरा दिया और अपने साथ लंगर का लाया हुआ खाना खाया।
अपनी ओर से सरकार ने लगभग 40 किसान संगठनों के नेताओं को भरोसा दिलाया कि उनकी सभी वैध चिंताओं को संबोधित किया जाएगा लेकिन किसान संगठनों का सीधा कहना है कि सितंबर में पास किया गया कानून जल्दबाजी में लाया गया है और कई कमियां और लूपहोल हैं।
आप को बता दे कि 40 किसान नेता सिंघु बॉर्डर पर शुक्रवार की सुबह मीटिंग कर रहे हैं। वो अभियान को आगे ले जाने पर चर्चा कर रहे हैं।
शनिवार को उनकी केंद्र सरकार के साथ फिर मीटिंग है, जिसके लिए वो रणनीति तैयार कर रहे हैं। किसानों ने शनिवार को एक राष्ट्रव्यापी आंदोलन का भी आह्वान किया है।
गुरुवार को सरकार के साथ हुई बैठक में सरकार ने किसान कानूनों में संशोधन का प्रस्ताव दिया था, जिससे किसानों ने इनकार कर दिया था।
किसानों की मांग है कि सरकार को इन कानूनों में कोई संशोधन करने की जरूरत ही नहीं है क्योंकि वो चाहते हैं कि सरकार इन कानूनों को ही रद्द कर दे।
इस मीटिंग के दौरान दोनों पक्षों की ओर से प्रेजेंटेशन दिया गया और बिंदुवार चर्चा की गई। हालांकि, फिर भी कोई ठोस नतीजा नहीं निकला। शनिवार को फिर किसानों के साथ बैठक है।