
राइफल-पिस्टल की तरह अब बिहार पुलिस हैंड ग्रेनेड चलाने का अभ्यास करेगी। अभ्यास के लिए वाकई में हैंड ग्रेनेड नहीं फेंके जाएंगे बल्कि पुलिसकर्मी सिम्यूलेटर (कम्प्यूटराइज्ड सिस्टम) पर हाथ आजमाएंगे।
जल्द ही बिहार पुलिस सिम्यूलेटर खरीदने जा रही है, जिसपर ग्रेनेड चलाने की प्रैक्टिस कराई जाएगी।
हैंड ग्रेनेड का अभ्यास कराने के लिए बिहार पुलिस सिम्यूलेटर की खरीद करनेवाली है। फिलहाल 3 सिम्यूलेटर खरीदे जाएंगे।
इसकी मदद से एसटीएफ, एटीएस और बीएमपी के साथ दूसरे बलों में तैनात अधिकारियों व जवानों को हैंड ग्रेनेड के इस्तेमाल का अभ्यास कराया जाएगा।
सिम्यूलेटर की खरीद पर 32 लाख रुपए का खर्च आएगा। एक की कीमत 14 लाख रुपए हैं। राज्य सरकार ने सिम्यूलेटर की खरीद को मंजूरी देने के साथ इसके लिए राशि भी मुहैया करा दी है।
सिम्यूलेटर पर फायरिंग की प्रैक्टिस कराई जाती है। बीएमपी में यह लगा है। सिम्यूलेटर निशानेबाजी के लिए बनाया गया एक कम्प्यूटराइज्ड सिस्टम है। जिस हथियार से निशाना लगाना है वह वास्तिविक होता है।
पर गोली उसमें नहीं भरी जाती है। इसकी जगह अल्ट्रॉवाइलेट रे निकलती है। निशाना कहां लगाना है वह सामने स्क्रीन पर दिखता है। सामने खड़ा शख्स उसपर राइफल-पिस्टल से निशाना लगाता है।
इसमें ऐसा सिस्टम लगा होता है जो यह दर्शाता है कि आपका निशाना कहां लगा। इसमें अलग-अलग परिस्थितियों में निशानेबाजी का अभ्यास किया जा सकता है। हैंड ग्रेनेड के लिए जो सिम्यूलेटर की खरीद होगी वह भी इसी तरह काम करेगा।
नक्सल व आतंकी घटनाओं में होता है इस्तेमाल
ग्रेनेड का इस्तेमाल छोटे अभियान के दौरान नहीं होता है। नक्सलियों या फिर आतंकियों से मुठभेड़ की सूरत में सुरक्षाबल इसका इस्तेमाल करते हैं। कई दफे हमलावर दीवार या किसी अन्य स्थाई संरचना का इस्तेमाल कर खुद को छुपा लेते हैं। ऐसे में ग्रेनेड काफी कारगर होता है।