
सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड हाई कोर्ट से मंगलवार को कहा कि वह उस जनहित याचिका के सुनवाई योग्य होने संबंधी प्रारंभिक आपत्तियों पर पहले सुनवाई करे, जिसमें झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और उनके परिवार के सदस्यों और सहयोगियों द्वारा चलाई जा रही कुछ सेल कंपनियों के लेन-देन और खनन पट्टों की कथित मंजूरी की जांच का अनुरोध किया गया है।
न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी की अवकाशकालीन पीठ ने कहा कि हाई कोर्ट ने 13 मई के अपने आदेश में खुद कहा था कि वह पहले इस बात पर विचार करेगा कि शिव कुमार शर्मा द्वारा दायर जनहित याचिका सुनवाई योग्य है या नहीं और फिर वह याचिका में लगाए गए आरोपों के गुण-दोष पर गौर करेगा।
पीठ ने कहा, ”हमारा विचार है कि हाई कोर्ट रिट याचिका के सुनवाई योग्य होने संबंधी प्रारंभिक आपत्तियों पर पहले विचार करेगा और फिर कानून के अनुसार आगे बढ़ेगा।”शीर्ष अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि उसने मामले के गुण-दोष के संबंध में कोई टिप्पणी नहीं की है और न ही याचिका में लगाए गए आरोपों पर कोई टिप्पणी की है। उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ झारखंड सरकार ने शीर्ष अदालत का रुख किया है।